Friday, February 24, 2017

ओ तेरी !!


मेरी गर्लफ्रेंड ने मुझसे कहा,

यूँ तो तुम्हे ओफेंड करने का मेरा कोई इरादा नहीं है।

मगर बॉयफ्रेंड के हिसाब से,

तुम्हारी तोंद कुछ ज्यादा नहीं है?

आजकल जब तुम मेरे साथ दिखते हो।

तो बॉयफ्रेंड नहीं अंकल-फ्रेंड लगते हो।

अब तो तुम्हारे बाल भी होने लगे है कम।

बंद कर दिया है तुमने लगाना अब गिफ्टों का मरहम।

पता नहीं तुम कब अपनी भुक्कस,

कविताओं के दिवास्वप्न से जगोगे।

ऐसा ही रहा तो मेरी शादी तक तुम,

मेरे ददू लगोगे।

मैंने कहा भूल गयी वो दिन जब मेरा हर व्याख्यान एक कविता,

हर वाक्य एक जुमला होता था।

जब मेरे घर का जूठा बर्तन भी,

तुम्हारे लिए फूलों का गमला होता था।

तुमने कहा था कि मेरा तुमसे मिलना ही,

तुम्हारे लिए सौगात है।

कुछ भी सुना देता था तुम्हे और तुम कहती थी,

क्या बात है - क्या बात है !

मेरी गर्लफ्रेंड ने

सुनकर मेरे मुख से ये छंद।

मेरे मुंह पर दरवाजा किया बंद।

खिड़की से कहा कि बात ख़त्म हो जाती अगर तुम कहते

की तुम अपनी गल्ती पर शर्मिंदा हो।

मगर तुम इन्सान नहीं,

गलतफहमियों का पुलिंदा हो।

तुम्हारा हर जुमला उटपटांग,

और हर गज़ल बिना जज्बात है।

और इडियट मैं तुम्हारी तारीफ़ नहीं प्रश्न पूछा करती थी।

कि तुम चुप नहीं हो रहे,

क्या बात है - क्या बात है?

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