Monday, March 6, 2017

सच्चा आशिक

जुल्फों के आबो-ताब देखकर मैं जिनके इश्क़ में पड़ा था।
इस रविवार को मेरे घर के दरवाज़े पे उसका बाप खड़ा था।
बोला अबे जिन जुल्फों के जुमले पढ़ पढ़ के,
तू मजनू,राँझा,फरहाद की आत्मा को सता रहा है।
आज तुझे उसी जुल्फों के मालिक का बाप बता रहा है।
तुझे वो मिल जाए,
ऐसा दिन नहीं आएगा।
सुधर का वक़्त है,
वर्ना टांग तुडवाएगा।
मैंने कहा सच्चा आशिक हूँ मैं,
ऐसे बाज़ नहीं आऊंगा।
देख लेना ससुर जी आपके ही सामने,
उसके ज़ुल्फो को सहलाऊँगा।
मुस्करा के बोला उसका बाप,
उन ज़ुल्फ़ों से इतना ही प्यार है तो उसी से मन बहला ले।
मेरी तरफ जाने पहचाने ज़ुल्फो के विग को उछाला और बोला
ले, सहला ले।

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