Sunday, February 12, 2017

सच्चाई !


अपने बिखरे केशो से फटे वस्त्रों
को ढकती छिपाती।
वो युवती पहुँची थाने,
रोती बिलखती।
'दारोगा साहब,
चौक पर भेड़िये चार।
करना चाहते थे मेरा बलात्कार।
दारोगा ने उसे
ऊपर से नीचे तक घूरा।
हवालदार ने उसे निर्वस्त्र
देखा पूरा।

- सुबह जब होश आया उस युवती को
तो उसने अपने तन पर,
कई पंजो के निशान पाए।
मगर ये भेड़ियों के नहीं,
सियारों के पंजो से थे आए।

२०१७ ©चन्दन शर्मा 

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