हम देखते है भूख में बिलखते किसी बच्चे का रोना,
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते है किसी मासूम की अस्मिता का खोना,
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते हैं किसी बेबस गरीब का असहज बिछौना,
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते हैं भ्रष्ट राजनीती का रूप घिनौना,
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते है देश के प्रहरियों का मौत की नींद सोना,
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते है संसद को बनता एक खिलौना,
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते है महंगाई का सातवे आसमान पर होना,
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते है किसी कि खूबसूरती को तेजाब से भिगोना,
और चैनल बदल लेते हैं।
प्रश्न ये है कि,
असख्य चैनल बदलने वाले हम,
क्या इस प्रवृति से बाज़ नहीं आएँगे।
कहीं जब हमारे साथ कुछ अनहोनी हुई,
तो अपनी ज़िन्दगी का चैनल बदलने वाला रिमोट,
हम कहाँ से लाएँगे?
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते है किसी मासूम की अस्मिता का खोना,
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते हैं किसी बेबस गरीब का असहज बिछौना,
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते हैं भ्रष्ट राजनीती का रूप घिनौना,
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते है देश के प्रहरियों का मौत की नींद सोना,
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते है संसद को बनता एक खिलौना,
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते है महंगाई का सातवे आसमान पर होना,
और चैनल बदल लेते हैं।
हम देखते है किसी कि खूबसूरती को तेजाब से भिगोना,
और चैनल बदल लेते हैं।
प्रश्न ये है कि,
असख्य चैनल बदलने वाले हम,
क्या इस प्रवृति से बाज़ नहीं आएँगे।
कहीं जब हमारे साथ कुछ अनहोनी हुई,
तो अपनी ज़िन्दगी का चैनल बदलने वाला रिमोट,
हम कहाँ से लाएँगे?
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